दीपक आनंद. आईसीएआई ने गुरुवार को सीए फाइनल का परिणाम जारी कर दिया। देश के सबसे मुश्किलतम एग्जाम में से एक सीए में नए सिलेबस के 15.12 और पुराने सिलेबस के 10.19 % स्टूडेंट्स ने एक साथ दोनों ग्रुप पास किए। संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक एक अप्रैल 1950 में एसोसिएट व फैलो सीए को मिलाकर संख्या 1689 थी। जो एक अप्रैल 2019 तक 2,91, 698 तक पहुंच गई। यानी 1950 से लेकर 2019 तक हर साल औसतन चार हजार स्टूडेंट्स को सीए की डिग्री मिल रही है।
आईसीएआई के आंकड़ों के अनुसार देश में हर साल इस कोर्स के लिए एक लाख छात्र एनरोल होते हैं। लेकिन इनमें से औसतन 4,000 ही सीए बन पाते हैं। इसी बात से परीक्षा के डिफिकल्टी लेवल का अंदाजा लगाया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, मात्र तीन प्रतिशत से भी कम स्टूडेंट्स एक-एक अटैम्प्ट में सीए की फाउंडेशन, इंटर व फाइनल स्टेज को पार कर पाते हैं। ऐसे में बढ़ती सीए की डिमांड की तुलना में यह संख्या बहुत कम है।
इतना गैप है डिमांड और सप्लाई में
विशेषज्ञ बताते हैं, देश में अलग-अलग सेक्टर की फाइनेंशियल डीलिंग, ऑडिट्स, अकाउंट्स आदि के लिए पांच लाख सीए चाहिए। वर्तमान में देश में कुल 2.91 सीए हैं। फैलो सीए में से कुल 86830 फुल व पार्ट टाइम प्रैक्टिसिंग व 12011 नॉन प्रैक्टिसिंग सीए हैं। वहीं एसोसिएट में 63880 प्रैक्टिसिंग 1.28 लाख नॉन प्रैक्टिसिंग सीए हैं।
मुश्किल परीक्षाओं में से एक
सबसे पहले स्टूडेंट्स को फाउंडेशन एग्जाम देना होता है। इसके बाद आईपीसीसी दो ग्रुपों में होता है। छात्र को सीए के साथ आर्टिकलशिप करनी होती है। इसके बाद फाइनल एग्जाम होते हैं। पूरी प्रक्रिया में लंबा समय व काफी मेहनत लगती है।